
राजद्रोह और देशद्रोह क्या है ? राजद्रोह व देशद्रोह में अंतर ? जानिए –

राजद्रोह और देशद्रोह को लेकर अक्सर ही देश की राजनीति गरमाई रहती है. हम राजद्रोह कानून और देशद्रोह कानून को लेकर भी कई बार अख़बारों में पढ़ते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजद्रोह क्या होता है ? और देशद्रोह क्या होता है ? या राजद्रोह और देशद्रोह में क्या अंतर है ?
यदि आप भी राजद्रोह और देशद्रोह से जुडी जानकारियां चाहते हैं तो चलिए हम बताते हैं इस बारे में विस्तार से :
राजद्रोह कानून क्या है ?
राजद्रोह व देशद्रोह यदि कोई व्यक्ति गवर्नमेंट विरोधी बातें लिखता है या बोलता है, या फिर ऐसी ही बातों का समर्थन करना है, या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या फिर संविधान को नीचा दिखता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code, IPC) की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का केस दर्ज किया जा सकता है.
इन सब बातों के साथ ही यह किसी व्यक्ति के द्वारा देश विरोधी संगठन के साथ में किसी तरह का संबंध रखा जाता है या वह ऐसे किसी संगठन का किसी भी तरह से सहयोग करता है तो भी वह राजद्रोह के अंतर्गत आता है.
राजद्रोह के लिए इतनी सजा हो सकती है ?
राजद्रोह व देशद्रोह सबसे पहले आपको इस बात से अवगत करवा दें कि राजद्रोह एक गैर-जमानती क्राइम यानि अपराध है. यदि किसी व्यक्ति को राजद्रोह कानून के अंतर्गत दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है. सजा के साथ ही उक्त व्यक्ति को जुर्माना भी देना होता है.
इसके साथ ही जब कोई व्यक्ति राजद्रोह में दोषी पाया जाता है तो वह कभी किसी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. इसके अलावा उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया जाता है और उसे जब जरुरत हो तब कोर्ट में हाजिर होना पड़ता है.
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राजद्रोह कानून के बारे में खास :
राजद्रोह व देशद्रोह में अंतर कई बार लोगों का एक सवाल सामने आता है कि क्या राजद्रोह कानून को खत्म किया जा सकता है ? तो इसे लेकर जुलाई 2019 के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि राजद्रोह कानून यानि आईपीसी की धारा-124 (ए) को खत्म नहीं किया जा सकता है. देश के विरोधी लोगों, आतंकी तत्वों और पृथकतावादी तत्वों से निपटने के लिए राजद्रोह कानून की बहुत जरुरत है.
राजद्रोह कानून को किसने बनाया ?
राजद्रोह के कानून को साल 1870 बनाया और लागू किया गया था. राजद्रोह कानून को जेम्स स्टीफन के द्वारा ही लिखा गया था. उनका यह कहना था कि किसी भी सूरत में सरकार की आलोचना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
यह जाना हमने राजद्रोह क्या होता है ? अब हम बात करेंगे देशद्रोह के बारे में
देशद्रोह कानून क्या होता है ?
देश में सरकार को क़ानूनी रूप से चुनौती देना देशद्रोह की श्रेणी में आता है. वैसे आपको बता दें कि सरकार का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जाना या इसके अलावा उसमें बदलाव के लिए मांग किया जाना देश के हर नागरिक का अधिकार होता है. लेकिन गैरकानूनी तरीके से सरकार का विरोध देशद्रोह कहा जाता है.
यहाँ तक कि ऐसे संगठन जिनके द्वारा देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है उन्हें भी बैन कर दिया जाता है. इसके अंतर्गत ही माओवादी या अलगाववादी संगठनों को भी बैन किया जाता है. ऐसे संगठनों से किसी भी तरह का संबंध रखनेवाले व्यक्ति के खिलाफ भी देशद्रोह के मामले में या इससे जुड़ी धाराओं में केस दर्ज होता है.
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IPC की धारा-121 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ होने वाली आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है तो देशद्रोह के अंतर्गत उसे सजा का प्रावधान है. वहीँ यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध जैसे हालात पैदा करता है या युद्ध करता है या फिर लोगों को देश के खिलाफ युद्ध के लिए प्रेरित करता है तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा दी जा सकती है.
ऐसे किसी भी क्राइम के लिए उस व्यक्ति को IPC की धारा-121 A के अंतर्गत सजा होती है. सजा की यह अवधि 10 साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.
देशद्रोह के लिए किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदार माना जाता है तो देश के खिलाफ किसी भी गतिविध में शामिल होता है या ऐसे किसी संगठन से सम्पर्क रखता है. आतंकी विचारधारा के साथ जाने वाले व्यक्ति को भी इसके लिए दोषी माना जाता है.
देशद्रोह कानून से जुड़े अन्य तथ्य :
IPC की धारा-122 के अंतर्गत यह कहा गया है कि यदि वह देश के खिलाफ युद्ध की नियत रखता है और इसके लिए हथियार जमा करता है या हथियार बनाता है या फिर हथियार छुपाने का काम करता है तो उस व्यक्ति को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है.
जबकि जो लोग ऐसे लोगों का साथ देते हैं उन्हें भी धारा-123 के अंतर्गत 10 साल की सजा का प्रावधान है. जबकि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल पर हमला करता है तो उसे आईपीसी की धारा-124 के अंतर्गत सजा होती है.
राजद्रोह और देशद्रोह में क्या अन्तर है ?
राजद्रोह व देशद्रोह में अंतर जब किसी व्यक्ति के द्वारा सरकार को असंवैधानिक तरिके से पलटने का कार्य किया जाता है तो उसे राजद्रोह करार दिया जाता है. जबकि जब किसी व्यक्ति के द्वारा देश के नुकसान के कार्य को अंजाम दिया जाता है या ऐसी कोई योजना बनाई जाती है तो उसे देशद्रोह कहा जाता है.
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