
Amul Milk की शुरुआत कैसे हुई ? अमूल की सफलता की कहानी

Amul Milk की सफलता की कहानी – 247 लीटर दूध से हुई शुरुआत, आज अमूल खरीदता है 23 लाख लीटर दूध रोज
Amul Milk की शुरुआत कैसे हुई ? अमूल की सफलता की कहानी
“अमूल दूध पीता है इंडिया” इस लाइन को आपने टीवी या सोशल मीडिया पर अक्सर सुना या पढ़ा होगा। आज हम बात करने जा रहे हैं देश के मशहूर ब्रांड और देश की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पाद सहकारी डेयरी कंपनी ‘अमूल’ की।
‘अमूल’ के नाम से देश का लगभग हर व्यक्ति परिचित होगा। दूध और दुग्ध उत्पादों के मामले में ‘अमूल’ लगभग पूरे देश पर हावी है। अमूल का दूध, दही, छाछ, मक्खन, घी और अन्य चीजें आज बाजार में उपलब्ध हैं।
Amul Milk आज एक बहुत बड़ी कंपनी है, जिसका टर्नओवर लगभग 40,000 करोड़ रुपये है। आज अमूल 23 लाख लीटर दूध रोज खरीदता है, हालांकि एक दिन ऐसा भी था जब अमूल का कारोबार रोजाना 247 लीटर दूध का ही था। तो आइए आज के लेख में जानते हैं कि अमूल की स्थापना कब हुई थी? और कैसे यह देश की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक कंपनी बन गई।
When was Amul Milk founded अमूल की स्थापना कब हुई थी ?
आपको बता दें कि अमूल की स्थापना 14 दिसंबर 1946 को गुजरात के खैरा जिले के एक छोटे से कस्बे आणंद में हुई थी। अमूल की स्थापना त्रिभुवन दास पटेल और डॉ वर्गीज कुरियन ने की थी। अमूल के वर्तमान सीईओ आरएस सोढ़ी हैं।
अमूल का पूरा नाम (Amul full name)
Amul Milk की शुरुआत खेड़ा डिस्ट्रिक्ट मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड के तौर पर हुई थी। वर्ष 1955 में डॉ. कुरियन ने इस सहयोग का नाम अमूल रखा। अमूल का पूरा नाम आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड है।
अमूल की शुरुआत How did Amul start ?
एक बार गुजरात के आणंद में पोलसन नाम की एक डेयरी कंपनी चल रही थी। इकलौती डेयरी कंपनी होने के कारण क्षेत्र के किसानों को अपना दूध इस डेयरी कंपनी को औने-पौने दाम पर बचाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
यह डेयरी कंपनी किसानों से सस्ता दूध खरीदकर मुंबई में महंगे दामों पर बेचती थी। इसके अलावा यह कंपनी ब्रिटिश सेना को दूध की आपूर्ति भी करती थी। इससे कंपनी को भारी मुनाफा होता था, लेकिन किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता था।
इसी के चलते किसानों के प्रतिनिधि त्रिभुवन दास पटेल एक दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल से मिलने पहुंचे और उन्हें किसानों की समस्या से अवगत कराया कि किसानों को दूध का सही दाम कैसे नहीं मिल रहा है.
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इस पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने त्रिभुवन दास को सहकारी संस्था बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद त्रिभुवन दास ने 14 दिसंबर 1946 को आणंद में खेड़ा डिस्ट्रिक्ट मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड की शुरुआत की।
Amul Milk ने किसानों से दूध बेचना शुरू किया। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि बिचौलियों को हटा दिया गया और किसानों को दूध का सही दाम मिलना शुरू हो गया।
डॉ वर्गीज कुरियन एक ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा किसानों और गरीबों के लिए कुछ करना चाहते थे। वर्ष 1950 में त्रिभुवन दास ने खेड़ा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड को चलाने की जिम्मेदारी डॉ. कुरियन को सौंपी।
डॉ. कुरियन को इस सोसायटी को चलाने के लिए एक तकनीकी व्यक्ति की मदद की जरूरत थी। जिसके लिए डॉ. कुरियन ने एचएम दलाया को चुना। अमूल को शुरू करने में इन तीनों लोगों का बहुत बड़ा योगदान है।
Who is Amul Girl ?
‘अमूल गर्ल’ के बारे में तो आप जानते ही होंगे। दरअसल, डेयरी कंपनी पोलसन के विज्ञापनों में एक लड़की नजर आई, जिसका नाम ‘पोलसन गर्ल’ है। ऐसे में अमूल ने ‘पोलसन गर्ल’ को टक्कर देने और लोगों को आकर्षित करने के लिए एक विज्ञापन और बिक्री प्रचार एजेंसी को हायर किया। एजेंसी के कला निर्देशक यूस्टेस फर्नांडीस और संचार प्रमुख सिल्वेस्टर डकुन्हा ने मिलकर ‘अमूल गर्ल’ बनाई।
साल 1966 में अमूल गर्ल का पहला विज्ञापन आया, जिसे दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला विज्ञापन भी कहा जाता है। वर्ष 1990 तक अमूल गर्ल के करेंट अफेयर्स और बॉलीवुड फिल्मों के विज्ञापन भी आने लगे। यह सिलसिला आज भी जारी है। लोगों को अमूल का ये इस्तेमाल काफी पसंद आ रहा है.
यह Amul Milk की मार्केटिंग और सप्लाई चेन का ही चमत्कार था कि 1998 तक भारत अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया।
1990 के दशक के अंत में, अमूल ने कई उत्पाद लॉन्च किए, लेकिन वे फैलने लगे। लगभग 50 वर्षों तक ऊंचाइयों पर रहने के बाद अमूल कंपनी धीरे-धीरे नीचे आने लगी। इस तरह धीरे-धीरे अमूल की लोकप्रियता कम होने लगी और साल 2006 में डॉ. कुरियन ने चेयरमैन का पद छोड़ दिया।
2010 में कंपनी से पिछले 30 साल से जुड़े आरएस सोढ़ी को अमूल की कमान सौंपी गई थी। कंपनी की बागडोर संभालने के बाद आरएस सोढ़ी ने अमूल की सप्लाई चेन में जरूरी बदलाव किए और कुछ नए प्रोडक्ट भी लॉन्च किए।
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आरएस सोढ़ी के प्रयासों की बदौलत अमूल धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा। साल 2010 में जहां अमूल का टर्नओवर 8005 करोड़ रुपये था, जो साल 2020 तक बढ़कर 38,500 करोड़ रुपये हो गया।
कोरोना संकट में अमूल का योगदान Amul’s contribution in Corona Virus
कोरोना संकट में जहां कई कंपनियों का कारोबार ठप पड़ा है, वहीं दूसरी ओर ‘आपदा में अवसर’ की तलाश में अमूल ने 2021 की पहली तिमाही में 33 नए उत्पाद लॉन्च किए। इस तरह अमूल का कारोबार जो कभी 247 लीटर दूध से शुरू होता था, वह अब 23 लाख लीटर प्रतिदिन पहुंच गया है।